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Reservation (आरक्षण) | [वरदान या अभिश्राप]

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आरक्षण एक ऐसा विषय  है जिसपर हमेशा  से वाद-विवाद चला रहा है। कुछ लोग इसे सही  मानते है और कुछ लोग इसे देश के लिए अभिश्राप मानते है। हम आपको ये बताना चाहते है कि ये कोई आज या कल का विषय  नहीं है बल्कि ये तो आजादी के समय से पहले  से चला रहा है, तो आज इस विषय  पर  थोड़ा सा प्रकाश डालते है कि आरक्षण क्या है और ये कैसे लागु हुआ या इसकी आवशकता क्यों पडी और लोगो की राय इस पर लेंगे कि  क्या ये देश के हित में है या अनहित में। तो देखते है आरक्षण या रिजर्वेशन  का सच, तो शुरू  करते है कि क्या होता है आरक्षण:

आरक्षण होता क्या है:

मूल रूप से आरक्षण का मतलब ये होता है कि जो कोई भी व्यक्ति चाहे वो किसी भी जाति या धर्म  का क्यों  हो आरक्षण का हकदार है अगर उसके  परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है या कोई ऐसा व्यक्ति जो कि  शारीरिक रूप से कमजोर या अपंग हो, आरक्षण का हकदार होता है। परन्तु आजकल कुछ लोगो ने इसे जाति के नाम से जोड़कर इसका बहुत ही ज्यादा दुरूपयोग किया है और कर भी रहे है। मतलब कुल सरल शब्दो में आरक्षण हमारे देश के गरीबो के लिए बनाया गया एक नियम था।

आरक्षण की शुरुआत:

आरक्षण की शुरुआत का श्रेय डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी को जाता है जिनके अत्यंत प्रयासो के कारण भारत में आरक्षण लागू हुआ। डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी का जन्म भारत के एक दलित परिवार में (14  अप्रैल, 1891 - 6  दिसंबर, 1956) हुआ था। भीमराव अम्बेडकर जी एक अर्धशास्त्री,राजनितज्ञ और एक समाजसुधारक थे। दलित परिवार में जन्म के कारण अम्बेडकर जी को बचपन से ही सामाजिक और आर्थिक रूप से कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अम्बेडकर जी बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और पढ़ाई को लेकर उनके पिताजी भी उनका पूरा सहयोग करते थे।

8 अगस्त 1930 का वह समय भी गया जब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी एक शोषित वर्ग के सम्मलेन में पहुंचे और अपनी राजनैतिक दृस्टि को दुनिया के सामने रखा , जिसके कारण अब लोग उनको पहचानने लगे। अपने विवादसप्रद  विचारो और गाँधी जी और कांग्रेस की आलोचनाओं के बावजूद अम्बेडकर जी एक अद्वितीय विद्वान के रूप में होने लगी।  इसका सबूत यह है कि जब आजादी के बाद कांग्रेस की सरकार सत्ता में आयी तो उन्हें देश का पहला कानून मंत्री बनाया गया। 29 अगस्त, 1947 को उन्हें  नए भारत के लिए एक सविधान की रचना वाली समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया , जिसमे रहकर उन्होंने भारत के लिए एक सविधान की रचना की जिसे 26 नवंबर, 1949 को अपना लिया गया।

अम्बेडकर जी चाहते थे कि दलित लोगो को भी समानता की अधिकार मिले जिसके लिए उन्हने कुछ नियम सविधान में बनाये जिनमे से एक था आरक्षण जो की आज के आरक्षण से अलग था इस आरक्षण का मतलब ये था की जो कोई भी व्यक्ति अत्यंत गरीब था उसके लिए मुफ्त शिक्षा हो तथा मूल रूप से जरुरी वस्तुए ओर लोगो से थोड़ा कम दाम में मिले। वे चाहते थे कि जो कठिनाई भरे दिन उन्होंने देखे वो देश का कोई और व्यक्ति देखे या कोई व्यक्ति अपनी गरीबी के कारण पढाई छोड़े। तो इस तरह डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी के प्रयाशो के कारन हमारे देश में आरक्षण लागु हुआ।

आरक्षण पर लोगो की राय (फायदे और नुकसान):

शुरू से ही जब से आरक्षण लागू हुआ है तो इस पर कई तरह की विवादग्रस्त टिप्णिया होती आई है कोई इसे देश के हित में  देखता है तो दूसरी और कई लोग इसे देश के विकास में अवरुद्ध के रूप में देखते है। कुछ लोग इसके फायदे बताते है तो कुछ लोग इसके नुक्सान बताते है। जो लोग इसे देश के हित में बताते है वो इसे समानता के अधिकार से जोड़कर या फिर अपने पिछड़ेपन से जोड़ते है और जो लोग इसे देश के विकास में अवरुद्ध बताते है वो इसे समानता के अधिकार में छेड़छाड़ से जोड़ते है। उनके अनुसार जब सभी को समानता का अधिकार है तो परीक्षा में कम मार्क्स लाने पर भी वो अधिक मार्क्स पाने वाले अभियार्थी से बेहतर या आगे कैसे हो गया क्यूकि दोनों ने ही एक ही क्लास में रहकर एक ही टीचर से सामान किताब पड़ी है तो कम नंबर लाने पर  भी दोनों सामान कैसे हुए ? इसी तरह और भी कई राय है लोगो की जो एकदूसरे पर टिपणी करते रहते है और उनका फायदा कुछ लोग उठा लेते है।

निष्कर्ष:

तो इस प्रकार हमने देखा की आरक्षण क्या है, कैसे ये लागू हुआ और इस पर लोगो की राय। तो आप लोग भी बताये की आपकी राय क्या है आरक्षण को लेकर | क्या भारत से आरक्षण समाप्त हो जाना चाहिए कि नहीं, कृपया करके हमें comments  में जरूर बताये।

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